. अमरता
मनुष्य चाहे अमरता प्राप्त करने के लिए
कितनी ही कोशिश क्यों ना करता रहे,
कितने ही जोड़तोड़ क्यों ना लगा ले लेकिन
सृष्टि के नियम के विरुद्ध वह किसी भी
रूप में नहीं जा सकता। सृष्टि के जिस
नियम के विषय में हम बात कर रहे हैं वो है
जीवन और मृत्यु का नियम।
2. मृत्यु
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु और
मृत्यु के बाद आत्मा का दूसरे शरीर में
प्रवेश करना निश्चित है। इसलिए अमरता
का बेवजह का ख्वाब देखना पूरी तरह
बेमानी है।
3. जिज्ञासु
यूं तो मृत्यु का नाम भी इंसान के भीतर
कंपन पैदा करता है लेकिन सत्य यह भी है
कि जितना लोग इस विषय पर जानने के
लिए जिज्ञासु रहते हैं उतना किसी अन्य
विषय के लिए नहीं।
4. मृत्युपूर्वाभास
मृत्युपूर्वाभास हों या मृत्यु के पश्चात
अपने गंतव्य तक आत्मा का सफर, सभी
के विषय में जानने की जिज्ञासा आम
मनुष्य में देखी जा सकती है।
5. यमराज
इसी कड़ी में आज हम आपको मृत्यु से जुड़े
कुछ ऐसे रहस्यों से अवगत करवाएंगे जो
स्वयं मृत्यु के देवता यमराज ने बताए थे।
6. कठोपनिषद
कठोपनिषद में यमराज और बालक
नचिकेता की मुलाकात से जुड़ी एक कथा
मिलती है। जिसके अनुसार क्रोधित पिता
ने जब नचिकेता को मृत्यु यानि यमराज
को दान में दिया तब अपने पिता की बात
का मान रखने के लिए बालक नचिकेता,
यमराज की खोज में निकल पड़ा।
7. यमपुरी
यमराज की खोज करते-करते वह यमपुरी
में पहुंच गया। नचिकेता की मृत्यु नहीं हुई
थी और देह के साथ यमपुरी में प्रवेश नहीं
किया जा सकता था।
8. भूखा-प्यासा
इसलिए यमराज ने अपने द्वारपाल से
कहा कि वे बालक को वापस जाने के लिए
कहे। परंतु नचिकेता ने द्वारपाल की बात
नहीं मानी और 3 दिन तक भूखा-प्यासा
वहीं, यमपुरी के द्वार के बाहर ही खड़ा
रहा।
9. नचिकेता की आस्था
नचिकेता की आस्था देखकर यमराज
स्वयं उसके पास आए और उसे तीन
वरदान मांगने के लिए कहा।
10. पिता का स्नेह,
वरदान स्वरूप नचिकेता ने सबसे पहले
अपने पिता का स्नेह, दूसरा स्वर्ग अग्नि
विद्या का ज्ञान और तीसरा मृत्यु से जुड़े
रहस्यों की जानकारी मांगी।
11. स्वर्ग अग्नि विद्या
पिता का स्नेह भी यमराज ने वरदान में दे
दिया और स्वर्ग अग्नि विद्या, जिसके
द्वारा स्वर्ग प्राप्त किया जा सकता है,
का स्वरूप, कुंडादि बनाने की प्रक्रिया,
विधि भी नचिकेता को समझा दी। यमराज
ने यह भी कहा कि आज से इस विद्या को
नचिकेता के नाम यानि नचिकेताग्नि के
नाम से जानी जायेगी।
12. तीसरी मांग
सर्वप्रथम तो यमराज ने बालक नचिकेता
की तीसरी मांग को पूरा कर पाने में
असमर्थता जताई लेकिन अंतत: उन्हें
नचिकेता के हठ के सामने हार माननी पड़ी।
इसके बाद शुरू हुआ मृत्यु के रहस्य से
पर्दा उठाने का सिलसिला।
13. ॐ
यमराज ने नचिकेता को बताया कि “ॐ”
परमात्मा का स्वरूप है और मनुष्य के
हृदय के भीतर स्वयं ब्रह्मा का वास होता
है।
14. आत्मा
यमराज ने बताया कि मृत्यु के बाद भी
आत्मा नहीं मरती, शरीर के विनाश के
साथ आत्मा का कोई संबंध नहीं है। वह ना
तो जन्म लेती है और ना ही उसकी मृत्यु
होती है।
15. मृत्यु तक का सफर
जन्म के बाद मृत्यु तक का सफर पूरा करने
के बाद ही व्यक्ति की वास्तविक यात्रा
पूर्ण होती है। इसका अर्थ यह है कि
व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र के साथ-
साथ ब्रह्मस्वरूप से भी मुक्त हो जाता है।
16. नास्तिक
नास्तिक
नचिकेता को मृत्यु का रहस्य बताते हुए
यमराज ने कहा जो व्यक्ति जीवित
अवस्था में नास्तिक होते हैं, जिनकी
आत्मा ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास
नहीं रखती, मृत्यु के पश्चात वह आत्मा
शांति की खोज में लग जाती है, उन्हें कहीं
भी शांति प्राप्त नहीं होती।
17. मनुष्य शरीर का सम्मान
यमराज द्वारा नचिकेता को बताए गए ये
सभी रहस्य, मृत्यु के साथ-साथ जीवन
के रहस्य को भी दर्शाते हैं। ईश्वर के
प्रति आस्था और मनुष्य शरीर का
सम्मान, यही इन रहस्यों का सार है।
मनुष्य चाहे अमरता प्राप्त करने के लिए
कितनी ही कोशिश क्यों ना करता रहे,
कितने ही जोड़तोड़ क्यों ना लगा ले लेकिन
सृष्टि के नियम के विरुद्ध वह किसी भी
रूप में नहीं जा सकता। सृष्टि के जिस
नियम के विषय में हम बात कर रहे हैं वो है
जीवन और मृत्यु का नियम।
2. मृत्यु
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु और
मृत्यु के बाद आत्मा का दूसरे शरीर में
प्रवेश करना निश्चित है। इसलिए अमरता
का बेवजह का ख्वाब देखना पूरी तरह
बेमानी है।
3. जिज्ञासु
यूं तो मृत्यु का नाम भी इंसान के भीतर
कंपन पैदा करता है लेकिन सत्य यह भी है
कि जितना लोग इस विषय पर जानने के
लिए जिज्ञासु रहते हैं उतना किसी अन्य
विषय के लिए नहीं।
4. मृत्युपूर्वाभास
मृत्युपूर्वाभास हों या मृत्यु के पश्चात
अपने गंतव्य तक आत्मा का सफर, सभी
के विषय में जानने की जिज्ञासा आम
मनुष्य में देखी जा सकती है।
5. यमराज
इसी कड़ी में आज हम आपको मृत्यु से जुड़े
कुछ ऐसे रहस्यों से अवगत करवाएंगे जो
स्वयं मृत्यु के देवता यमराज ने बताए थे।
6. कठोपनिषद
कठोपनिषद में यमराज और बालक
नचिकेता की मुलाकात से जुड़ी एक कथा
मिलती है। जिसके अनुसार क्रोधित पिता
ने जब नचिकेता को मृत्यु यानि यमराज
को दान में दिया तब अपने पिता की बात
का मान रखने के लिए बालक नचिकेता,
यमराज की खोज में निकल पड़ा।
7. यमपुरी
यमराज की खोज करते-करते वह यमपुरी
में पहुंच गया। नचिकेता की मृत्यु नहीं हुई
थी और देह के साथ यमपुरी में प्रवेश नहीं
किया जा सकता था।
8. भूखा-प्यासा
इसलिए यमराज ने अपने द्वारपाल से
कहा कि वे बालक को वापस जाने के लिए
कहे। परंतु नचिकेता ने द्वारपाल की बात
नहीं मानी और 3 दिन तक भूखा-प्यासा
वहीं, यमपुरी के द्वार के बाहर ही खड़ा
रहा।
9. नचिकेता की आस्था
नचिकेता की आस्था देखकर यमराज
स्वयं उसके पास आए और उसे तीन
वरदान मांगने के लिए कहा।
10. पिता का स्नेह,
वरदान स्वरूप नचिकेता ने सबसे पहले
अपने पिता का स्नेह, दूसरा स्वर्ग अग्नि
विद्या का ज्ञान और तीसरा मृत्यु से जुड़े
रहस्यों की जानकारी मांगी।
11. स्वर्ग अग्नि विद्या
पिता का स्नेह भी यमराज ने वरदान में दे
दिया और स्वर्ग अग्नि विद्या, जिसके
द्वारा स्वर्ग प्राप्त किया जा सकता है,
का स्वरूप, कुंडादि बनाने की प्रक्रिया,
विधि भी नचिकेता को समझा दी। यमराज
ने यह भी कहा कि आज से इस विद्या को
नचिकेता के नाम यानि नचिकेताग्नि के
नाम से जानी जायेगी।
12. तीसरी मांग
सर्वप्रथम तो यमराज ने बालक नचिकेता
की तीसरी मांग को पूरा कर पाने में
असमर्थता जताई लेकिन अंतत: उन्हें
नचिकेता के हठ के सामने हार माननी पड़ी।
इसके बाद शुरू हुआ मृत्यु के रहस्य से
पर्दा उठाने का सिलसिला।
13. ॐ
यमराज ने नचिकेता को बताया कि “ॐ”
परमात्मा का स्वरूप है और मनुष्य के
हृदय के भीतर स्वयं ब्रह्मा का वास होता
है।
14. आत्मा
यमराज ने बताया कि मृत्यु के बाद भी
आत्मा नहीं मरती, शरीर के विनाश के
साथ आत्मा का कोई संबंध नहीं है। वह ना
तो जन्म लेती है और ना ही उसकी मृत्यु
होती है।
15. मृत्यु तक का सफर
जन्म के बाद मृत्यु तक का सफर पूरा करने
के बाद ही व्यक्ति की वास्तविक यात्रा
पूर्ण होती है। इसका अर्थ यह है कि
व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र के साथ-
साथ ब्रह्मस्वरूप से भी मुक्त हो जाता है।
16. नास्तिक
नास्तिक
नचिकेता को मृत्यु का रहस्य बताते हुए
यमराज ने कहा जो व्यक्ति जीवित
अवस्था में नास्तिक होते हैं, जिनकी
आत्मा ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास
नहीं रखती, मृत्यु के पश्चात वह आत्मा
शांति की खोज में लग जाती है, उन्हें कहीं
भी शांति प्राप्त नहीं होती।
17. मनुष्य शरीर का सम्मान
यमराज द्वारा नचिकेता को बताए गए ये
सभी रहस्य, मृत्यु के साथ-साथ जीवन
के रहस्य को भी दर्शाते हैं। ईश्वर के
प्रति आस्था और मनुष्य शरीर का
सम्मान, यही इन रहस्यों का सार है।
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