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Showing posts from March, 2017

HANUMAN CHALISA HINDI

दोहा॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा । अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरङ्गी । कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥ बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥ लाय सञ्जीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥ जम कुबेर दि

How Lord Ram Died प्रभु श्री राम की मुत्यु कैसे हुवा

Lord Rama death story in Hindi : जिस तरह दुनिया में आने वाला हर इंसान अपने जन्म से पहले ही अपनी मृत्यु की तारीख यम लोक में निश्चित करके आता है। उसी तरह इंसान रूप में जन्म लेने वाले भगवान के अवतारों का भी इस धरती पर एक निश्चित समय था, वो समय समाप्त होने के बाद उन्हें भी मृत्यु का वरण करके अपने लोक वापस लौटना पड़ा था।हम अब तक आप सब को भगवान श्रीकृष्ण और भगवान लक्ष्मण की मृत्यु या यूँ कहे की उनके स्वलोक गमन की कहानी बता चुके है। आज हम जानेंगे की भगवान श्री राम कैसे इस लोक को छोड़कर वापस विष्णुलोक गए। भगवान श्री राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त हनुमान थे। क्योंकि हनुमान के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो राम के पास पहुँच चुके। पर स्वयं श्री राम से इसका हल निकाला। आइये जानते है कैसे श्री राम ने इस समस्या का हल निकाला। एक दिन, राम जान गए कि उनकी मृत्यु का समय हो गया था। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना पड़ता है। “यम को मुझ तक आने दो। मेरे लिए वैकुंठ, मेरे स्वर्गिक धाम जाने का समय आ गया है”, उन्होंने कहा। लेकिन मृत्यु के देवता यम अय

रामायन महाभारत के अदभुत श्राप

SAIPURAN NEW POST FROM BEST OF RAMAYANA AND MAHABHARATA IN HINDI FOR NEW UPDATES YOU CAN SUBSCRIBE. ALSO WE PROVIDE NEW INDIAN GOVERNMENT SCHEME IN HINDI. जानिये महाभारत में किसने किसको और क्यों दिए थे ऐसा श्राप | Jaaniye mahabharat mein kisne kisko aur kyon diye the aise shraap हिंदू धर्म ग्रंथों (hindu spiritual books) में ऋषियों द्वारा श्राप (curse) देने के अनेक प्रसंग मिलते हैं। ऋषियों के श्राप से तो पराक्रमी राजा भी घबराते थे। श्राप के कारण भगवान को भी दु:ख भोगने पड़े और मनुष्य रूप में जन्म (birth) लेना पड़ा। यहां तक की दूसरों के बुरे कर्मों का हिसाब रखने वाले यमराज भी श्राप से नहीं बच पाए। भगवान श्रीकृष्ण (bhagwan shri krishan ji) के परिवार का अंत भी गांधारी के श्राप के कारण हुआ था। रामायण, महाभारत, शिवपुराण, श्रीमद्भागवत आदि कई ग्रंथों में श्राप देने के अनेक प्रसंग मिलते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही श्रापों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में शायद अब तक आप नहीं जानते होंगे- 1- ऋषि किंदम का राजा पाण्डु को श्राप महाभारत(mahabharat) के अनुसार एक बार राजा पाण

NASA AMERICA REACTION ON ISRO NEW MILESTONE ईसरो कि कामयाबी ने नासा अमेरिका का नजरीया बदला

आज सबसे पहले हम आधुनिक भारत के सबसे बड़े रहस्य का विश्लेषण करेंगे। ये रहस्य क़रीब 23 वर्ष पुराना है, जिसका रिश्ता ISRO यानी Indian Space Research Organisation से जुड़ा हुआ है। आपने पिछले कु अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने में इसरो सक्षम: किरण कुमार एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कराकर इतिहास रचने से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि वह अंतरिक्ष में देश का अपना स्टेशन विकसित करने में सक्षम है, बशर्ते देश ‘दीर्घकालिक सोच’ के साथ इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिये मन बनाये। अंतरिक्ष में एक-एक कर कैसे रॉकेट से अलग हुए सैटेलाइट? इसरो ने जारी किया अद्भुत और रोमांचक VIDEO इसरो ने बुधवार को पीएसएलवी-सी37 रॉकेट से 104 सैटलाइट लॉन्च कर इतिहास रचा था। लॉन्च का वीडियो तो आपने देखा होगा, लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि इस रॉकेट पर एक सेल्फी कैमरा (ऑनबोर्ड कैमरा) भी लगा हुआ था, जिसने सभी सैटेलाइट्स के कक्षा में स्थापित होने के वीडियो को रिकॉर्ड किया। अब इसरो ने इस फुटेज को जारी किया है और यह फुटेज अब सामने आया है। इसमें अंतरिक्

NASA USE ANCIENT HINDU SOLAR SYSTEM BY VEDAS प्राचिन हिंदु वेद के अनुसार नवग्रह

Navagrahas Graha (from Sanskrit ग्रह gráha — seizing, laying hold of, holding) is a 'cosmic influencer' on the living beings of mother Bhumadevi (earth). In Hindu Astrology, the Navagraha (Sanskrit: नवग्रह, nine planets or nine realms) are some of these major influencers. Overview Ancient Indian seers had an extensive knowledge of Astronomy derived from observation, analysis and profound insight. They observed also that planetary movements and human affairs presented remarkable coincidences and concurrences within repetitive cyclic patterns that made them predictable. Thus they codified their composite knowledge of Astronomy and Astrology into a single science called Jyotisha. And this work became sufficiently significant to human affairs that it was invested with the status of a Vedanga, a limb of the Vedas. "The Sanskrit word captures the idea that these nine grahas are living energies which put out waves of energy. These waves of ener

PATAL HANUMAN FOUND IN USA अमेरिका ने माना पाताल मे है हनुमान

पाताल लोक के बारे में जानने को मानव जीवन हमेशा से ही उत्सुक रहा है। वैज्ञानिकों के लिए भी पाताल लोक एक रहस्य है जिसे सुलझाने में वह दिन-रात लगे रहते हैं। पाताल लोक पृथ्वी के नीचे बसा संसार है जिसे मनुष्य ने कभी नहीं देखा और उसका वहां पहुंच पाना भी अत्यंत कठिन है। पौराणिक कथाओं में पाताल लोक का जिक्र बार-बार होता आया है और वैज्ञानिक भी इस लोक की खोज में कई वर्षों से जुटे हुए हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाताल लोक काल्पनिक है या इसका वजूद भी है? महफिल की जान होते हैं अप्रैल में जन्मे लोग… अमेरिका में है पाताल लोक पाताल लोक की खोज वैज्ञानिक कई वर्षों से कर रहें हैं और अब इन्हें इस संदर्भ में कुछ सफलता हाथ लगी है। वैज्ञानिकों ने जिस पाताल लोक की खोज की है वह आज के युग के अनुसार मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। पाताल लोक की रिसर्च में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 3डी नक्शा तैयार किया है जिसमें जमीन के नीचे गदा जैसा शस्त्र लिए एक विशाल वानर की मूर्ति होने की पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह हनुमान जी की मूर्ति है।