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Ramayan Part 1

सनातन धर्म के धार्मिक लेखक तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनायी थी। जहाँ पर भगवान शंकर पार्वती जी को भगवान श्री राम की कथा सुना रहे थे वहाँ कागा (कौवा) का एक घोसला था और उसके भीतर बैठा कागा भी उस कथा को सुन रहा था। कथा पूरी होने के पहले ही माता पार्वती को नींद आ गई पर उस पक्षी ने पूरी कथा सुन ली। उसी पक्षी का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि जी ने यह कथा गरुड़ जी को सुनाई। भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से प्रख्यात है। अध्यात्म रामायण को ही विश्व का सर्वप्रथम रामायण माना जाता है। RAMAYAN RAMAYAN हृदय परिवर्तन हो जाने के कारण एक दस्यु से ऋषि बन जाने तथा ज्ञानप्राप्ति के बाद वाल्मीकि ने भगवान श्री राम के इसी वृतान्त को पुनः श्लोकबद्ध किया। महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोकबद्ध भगवान श्री राम की कथा को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है तथा वाल्मीकि रामायण को आदि रामायण के नाम से भी जाना जाता है। RAMAYAN RAMAYAN देश में विदेशियों की सत्ता हो जाने के बाद संस्कृत का ह्रास हो गया और भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी ही संस्कृति को भूलने लग गये। ऐसी स्थिति को अत्यन्त विकट जानकर जनजागरण के लिये महाज्ञानी सन्त श्री तुलसीदास जी ने एक बार फिर से भगवान श्री राम की पवित्र कथा को देसी भाषा में लिपिबद्ध किया। सन्त तुलसीदास जी ने अपने द्वारा लिखित भगवान श्री राम की कल्याणकारी कथा से परिपूर्ण इस ग्रंथ का नाम रामचरितमानस रखा। सामान्य रूप से रामचरितमानस को तुलसी रामायण के नाम से जाना जाता है। कालान्तर में भगवान श्री राम की कथा को अनेक विद्वानों ने अपने अपने बुद्धि, ज्ञान तथा मतानुसार अनेक बार लिखा है। इस तरह से अनेकों रामायणों की रचनाएँ हुई हैं। RAMAYAN श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत मेंरामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। RAMAYAN RAMAYAN तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। RAMAYAN RAMAYAN संवत्‌ १६३१ का प्रारम्भ हुआ। दैवयोग से उस वर्ष रामनवमी के दिन वैसा ही योग आया जैसा त्रेतायुग में राम-जन्म के दिन था। उस दिन प्रातःकाल तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की। दो वर्ष, सात महीने और छ्ब्बीस दिन में यह अद्भुत ग्रन्थ सम्पन्न हुआ। संवत्‌ १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम-विवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।हम भारतवासी आजकल अपने आप को इतना ज्यादा आधुनिक बनाने पर तुले हुए है कि हम अपने देश व समाज के बहुमुल्य ग्रंंथो जो कि अपने आप मे विश्व के महान ग्रंथ है को कभी याद नही करते जो अप्ने आप मे एक गलत सन्केत है। मेरा ये एक छोटा सा प्रयास है कि मै अपने देश के इन महान विस्व प्रसिध सत्य ग्रंथो को आम आदमी के सामने प्रस्तुत कर पाउ।

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