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hanuman chalisa lyrics for mankind

hanuman chalisa lyrics Hanuman Chalisa Reading And Chanting Gives Positive Results Like Mind Control, Wealth, Healthy Body And Many Benifits.Because Hanuman Chalisa Lyrics Is Base on Imortal God Hanuman.As by Vedas Puran God Hanuman is From Ramayana And Mahabharata To Till Kalyuga here for Every Living Human Need. Take 11 Week Reading Hanuman Chalisa Lyrics Challenge Then See All Problem Solve. Hanuman Chalisa Lyrics Is Realy Proved. So Read And Do 11 weeks Challenge we assure you Get Problem Solve like Courts Matter, Medical Illness etc. All You Need To Read Hanuman Chalisa Lyrics We Given in Our Blog.All Blog Readers Must Know Hanuman Chalisa Lyrics Meaning So This Lyrics with Detail Meaning we Given in Hindi And English. Jai Shri Ram Jai Bajrang Balli

HANUMAN CHALISA HINDI

दोहा॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा । अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरङ्गी । कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥ बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥ लाय सञ्जीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥ जम कुबेर दि

How Lord Ram Died प्रभु श्री राम की मुत्यु कैसे हुवा

Lord Rama death story in Hindi : जिस तरह दुनिया में आने वाला हर इंसान अपने जन्म से पहले ही अपनी मृत्यु की तारीख यम लोक में निश्चित करके आता है। उसी तरह इंसान रूप में जन्म लेने वाले भगवान के अवतारों का भी इस धरती पर एक निश्चित समय था, वो समय समाप्त होने के बाद उन्हें भी मृत्यु का वरण करके अपने लोक वापस लौटना पड़ा था।हम अब तक आप सब को भगवान श्रीकृष्ण और भगवान लक्ष्मण की मृत्यु या यूँ कहे की उनके स्वलोक गमन की कहानी बता चुके है। आज हम जानेंगे की भगवान श्री राम कैसे इस लोक को छोड़कर वापस विष्णुलोक गए। भगवान श्री राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त हनुमान थे। क्योंकि हनुमान के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो राम के पास पहुँच चुके। पर स्वयं श्री राम से इसका हल निकाला। आइये जानते है कैसे श्री राम ने इस समस्या का हल निकाला। एक दिन, राम जान गए कि उनकी मृत्यु का समय हो गया था। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना पड़ता है। “यम को मुझ तक आने दो। मेरे लिए वैकुंठ, मेरे स्वर्गिक धाम जाने का समय आ गया है”, उन्होंने कहा। लेकिन मृत्यु के देवता यम अय

रामायन महाभारत के अदभुत श्राप

SAIPURAN NEW POST FROM BEST OF RAMAYANA AND MAHABHARATA IN HINDI FOR NEW UPDATES YOU CAN SUBSCRIBE. ALSO WE PROVIDE NEW INDIAN GOVERNMENT SCHEME IN HINDI. जानिये महाभारत में किसने किसको और क्यों दिए थे ऐसा श्राप | Jaaniye mahabharat mein kisne kisko aur kyon diye the aise shraap हिंदू धर्म ग्रंथों (hindu spiritual books) में ऋषियों द्वारा श्राप (curse) देने के अनेक प्रसंग मिलते हैं। ऋषियों के श्राप से तो पराक्रमी राजा भी घबराते थे। श्राप के कारण भगवान को भी दु:ख भोगने पड़े और मनुष्य रूप में जन्म (birth) लेना पड़ा। यहां तक की दूसरों के बुरे कर्मों का हिसाब रखने वाले यमराज भी श्राप से नहीं बच पाए। भगवान श्रीकृष्ण (bhagwan shri krishan ji) के परिवार का अंत भी गांधारी के श्राप के कारण हुआ था। रामायण, महाभारत, शिवपुराण, श्रीमद्भागवत आदि कई ग्रंथों में श्राप देने के अनेक प्रसंग मिलते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही श्रापों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में शायद अब तक आप नहीं जानते होंगे- 1- ऋषि किंदम का राजा पाण्डु को श्राप महाभारत(mahabharat) के अनुसार एक बार राजा पाण

NASA AMERICA REACTION ON ISRO NEW MILESTONE ईसरो कि कामयाबी ने नासा अमेरिका का नजरीया बदला

आज सबसे पहले हम आधुनिक भारत के सबसे बड़े रहस्य का विश्लेषण करेंगे। ये रहस्य क़रीब 23 वर्ष पुराना है, जिसका रिश्ता ISRO यानी Indian Space Research Organisation से जुड़ा हुआ है। आपने पिछले कु अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने में इसरो सक्षम: किरण कुमार एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कराकर इतिहास रचने से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि वह अंतरिक्ष में देश का अपना स्टेशन विकसित करने में सक्षम है, बशर्ते देश ‘दीर्घकालिक सोच’ के साथ इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिये मन बनाये। अंतरिक्ष में एक-एक कर कैसे रॉकेट से अलग हुए सैटेलाइट? इसरो ने जारी किया अद्भुत और रोमांचक VIDEO इसरो ने बुधवार को पीएसएलवी-सी37 रॉकेट से 104 सैटलाइट लॉन्च कर इतिहास रचा था। लॉन्च का वीडियो तो आपने देखा होगा, लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि इस रॉकेट पर एक सेल्फी कैमरा (ऑनबोर्ड कैमरा) भी लगा हुआ था, जिसने सभी सैटेलाइट्स के कक्षा में स्थापित होने के वीडियो को रिकॉर्ड किया। अब इसरो ने इस फुटेज को जारी किया है और यह फुटेज अब सामने आया है। इसमें अंतरिक्

NASA USE ANCIENT HINDU SOLAR SYSTEM BY VEDAS प्राचिन हिंदु वेद के अनुसार नवग्रह

Navagrahas Graha (from Sanskrit ग्रह gráha — seizing, laying hold of, holding) is a 'cosmic influencer' on the living beings of mother Bhumadevi (earth). In Hindu Astrology, the Navagraha (Sanskrit: नवग्रह, nine planets or nine realms) are some of these major influencers. Overview Ancient Indian seers had an extensive knowledge of Astronomy derived from observation, analysis and profound insight. They observed also that planetary movements and human affairs presented remarkable coincidences and concurrences within repetitive cyclic patterns that made them predictable. Thus they codified their composite knowledge of Astronomy and Astrology into a single science called Jyotisha. And this work became sufficiently significant to human affairs that it was invested with the status of a Vedanga, a limb of the Vedas. "The Sanskrit word captures the idea that these nine grahas are living energies which put out waves of energy. These waves of ener

PATAL HANUMAN FOUND IN USA अमेरिका ने माना पाताल मे है हनुमान

पाताल लोक के बारे में जानने को मानव जीवन हमेशा से ही उत्सुक रहा है। वैज्ञानिकों के लिए भी पाताल लोक एक रहस्य है जिसे सुलझाने में वह दिन-रात लगे रहते हैं। पाताल लोक पृथ्वी के नीचे बसा संसार है जिसे मनुष्य ने कभी नहीं देखा और उसका वहां पहुंच पाना भी अत्यंत कठिन है। पौराणिक कथाओं में पाताल लोक का जिक्र बार-बार होता आया है और वैज्ञानिक भी इस लोक की खोज में कई वर्षों से जुटे हुए हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाताल लोक काल्पनिक है या इसका वजूद भी है? महफिल की जान होते हैं अप्रैल में जन्मे लोग… अमेरिका में है पाताल लोक पाताल लोक की खोज वैज्ञानिक कई वर्षों से कर रहें हैं और अब इन्हें इस संदर्भ में कुछ सफलता हाथ लगी है। वैज्ञानिकों ने जिस पाताल लोक की खोज की है वह आज के युग के अनुसार मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। पाताल लोक की रिसर्च में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 3डी नक्शा तैयार किया है जिसमें जमीन के नीचे गदा जैसा शस्त्र लिए एक विशाल वानर की मूर्ति होने की पुष्टि हुई है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह हनुमान जी की मूर्ति है।

YAMRAJ TOLD WHAT IS DEATH यमराज और जिवन कया है

. अमरता मनुष्य चाहे अमरता प्राप्त करने के लिए कितनी ही कोशिश क्यों ना करता रहे, कितने ही जोड़तोड़ क्यों ना लगा ले लेकिन सृष्टि के नियम के विरुद्ध वह किसी भी रूप में नहीं जा सकता। सृष्टि के जिस नियम के विषय में हम बात कर रहे हैं वो है जीवन और मृत्यु का नियम। 2. मृत्यु जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु और मृत्यु के बाद आत्मा का दूसरे शरीर में प्रवेश करना निश्चित है। इसलिए अमरता का बेवजह का ख्वाब देखना पूरी तरह बेमानी है। 3. जिज्ञासु यूं तो मृत्यु का नाम भी इंसान के भीतर कंपन पैदा करता है लेकिन सत्य यह भी है कि जितना लोग इस विषय पर जानने के लिए जिज्ञासु रहते हैं उतना किसी अन्य विषय के लिए नहीं। 4. मृत्युपूर्वाभास मृत्युपूर्वाभास हों या मृत्यु के पश्चात अपने गंतव्य तक आत्मा का सफर, सभी के विषय में जानने की जिज्ञासा आम मनुष्य में देखी जा सकती है। 5. यमराज इसी कड़ी में आज हम आपको मृत्यु से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों से अवगत करवाएंगे जो स्वयं मृत्यु के देवता यमराज ने बताए थे। 6. कठोपनिषद कठोपनिषद में यमराज और बालक नचिकेता की मुलाकात से जुड़ी एक कथा मिलती है। जिसके अनुसार क्

NASA MISSION SANSKRUT IN HINDI नासा के सब कँमपुटर सँसकृत भाषा मे कयो है

Ancient Computer Science Language Sanskrit,nasa sanskrit programming, nasa sanskrit report, The power of Sanskrit (“संस्कृत”), NASA to echo Sanskrit in space, website confirms its Mission Sanskrit Ancient Computer Science Language : नासा के एक वैज्ञानिक रिक ब्रिग्ज़ का एक लेख ‘ए आई’ ( आर्टिफ़िशल इंटैलिजैन्स्, कृत्रिम् बुद्धि) पत्रिका में 1985 में प्रकाशित हुआ है जिसमें उऩ्होंने घोषणा की है : “कम्पूटर के लिये सर्वोत्तम भाषा संस्कृत है”। कम्पूटर की क्रियाओं के लिये कम्प्यूटर के अन्दर एक भाषा की आवश्यकता होती है जो गणितीय तथा अत्यंत परिशुद्ध होती है। इस भाषा से ‘बात’ करने के लिये कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स को एक प्रचलित (स्वाभाविक )भाषा की आवश्यकता होती है जो उसके दैनंदिन कार्य की भाषा तो होती है किन्तु उसका भी परिव्हुद्ध होना अनिवार्य होता है अन्यथा कम्प्यूटर उसकी बात को गलत समझ सकता है। पिछले बीसेक वर्षों से एक ऐसी परिशुद्ध स्वाभाविक भाषा का विकास करने का विपुल व्यय के साथ भरसक प्रयत्न किया जा रहा है जिससे क्रमादेशक अपनी बात कम्प्यूटर को सुस्पष्ट अभिव्यक्त कर सक

Pandav swarg yatra in hindi कयो युदिषटिर और कुता दोनो पांङव से पहले सँवरग गये

भगवान कृष्ण एक वन से गुजर रहे थे तभी उनके पांव में एक कांटा लगा और वो दर्द से कराहते एक पेड़ के नीचे बैठे, एक शिकारी वंही से निकला, उसे कृष्ण की कराह किसी जानवर सी लगी और उसने शब्दभेदी वाण से तीर चलाया जो सीखा कृष्ण के पैर में लगा. जब शिकारी ने कृष्ण को देखा तो वो रो पड़ा और क्षोभ करने लगा, तब कृष्ण ने उसे एक कथा सुनाई जब राम रूप में उन्होंने छुप कर बाली को मारा था और भील वाही बाली था. तब बाली चुप हुआ वैकुण्ठ से गरुड़ आये और भगवान सशरीर अपने धाम सिधार गए. पांडवो को कृष्ण ने पहले ही अपने द्वारिका नगर की जिम्मेदारी दे रखी थी. अर्जुन समस्त वासियो समेत जैसे ही नगर के बाहर निकले की नगर समुद्र में डूब गया। अर्जुन यदुवंश की स्त्रियों व वासियों को लेकर तेजी से हस्तिनापुर की ओर चलने लगे। रास्ते में कलयमण के बचे हुए सैनिक वहां लुटेरों के रूप में तैयार थे. जब उन्होंने देखा कि अर्जुन अकेले ही इतने बड़े जनसमुदाय को लेकर जा रहे हैं तो धन के लालच में आकर उन्होंने उन पर हमला कर दिया। अर्जुन ने अपनी शक्तियों को याद किया, लेकिन उसकी शक्ति समाप्त हो गई। अर्जुन जैसे योद्धा क

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रावण का पुषपक विमान रहयस और आज के लंका के हवाई अङे

अनुपम महाकाव्य महाऋषि वाल्मीकि रामायण को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई सवाल पैदा होते है। लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आते हैं कि इसमें बतलाएं गए स्थान, वर्णित कहानियां व घटनाएं किसी कवि द्वारा प्रस्तुत की गई कल्पनाएं हैं या फिर सच में ऐसा कुछ हुआ था और लंकापति रावण के पास सच में कोई विमान था, ऐसे कई सवाल पैदा होते हैं परंतु ये बात सत्य है कि रावण के पास सिर्फ एक ही विमान नहीं था परंतु लंका में कई ऐसे विमान मौजूद थे जिनका प्रयोग लंकापति रावण करता था। वाल्मीकि रामायण में भी सबसे पहले प्राचीन विमान के रूप में पुष्पक विमान की चर्चा की गई है। रामायण में वर्णित है कि रावण पंचवटी से माता सीता का हरण करके पुष्पक विमान से लंका लेकर आया था। इस लेख के माध्यम से धार्मिक शास्त्रों व वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर हम अपने पाठकों को बताने जा रहे हैं की लंका में स्थित रावण के विमानो और उसके हेलिपैड के रहस्य के बारे में। शास्त्र वाल्मीकि रामायण के अनुसार पुष्पक विमान में बैठकर लंकापति रावण ने सीता का हरण किया था। युद्ध उपरांत श्रीराम, सीता, लक्ष्मण व अपने अन्य सहयोगियों के साथ

रामायन एक पोरानिक सच है देखे सब सबुत साई पुराण के अनुसार Ramayan Is Not Myth by Proof Sai Puran

रामायण एक पौराणिक सत्य है...! ( कुछ प्रमाण ) Ramayana is not a Myth जी हाँ आज हम आपको बताना चाहते है ! हिन्दुओ का धर्म ग्रन्थ रामायण और उसके किरदार क्या सच है ! या मात्र एक कल्पना आज हम आपको ऐसे साबुत और तथ्य बताएँगे की Ramayana एक सत्य कथा और ग्रन्थ है ये तथ्य जान हिन्दू धर्म मे आपका विश्वास और मजबूत हो जाएगा धर्म और आस्था एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ! जहां धर्म की बात होती है वहां आस्था खुद-ब-खुद आ जाती है ! हिन्दुओं के सबसे बड़े ग्रंथ Mahabharata के साथ भी कुछ ऐसा ही है ! श्री कृष्ण भगवान और गीता भी इसी से जुड़े हैं ! गीता में लिखे शब्दों को हिन्दू धर्म का मार्ग दर्शक कहा जाता है और महाभारत को धर्म और अधर्म के बीच हुआ सबसे बड़ा युद्ध ! उस वक्त के मिले कुछ प्रमाण ये साबित भी करते हैं कि श्री कृष्ण ने इस धरती पर जन्म लिया था और Mahabharata का युद्ध भी हुआ था ! जानिए क्या थी => चाणक्य नीति - Chanakya Niti 1. अशोक वाटिका => आज उस जगह को Hakgala Botanical Garden कहते हैं ! और जहां सीता जी को रखा गया था उस स्थान को ‘सीता एल्या’ कहा जाता है ! क्य
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जगनाथ पुरी और हम Jagnath Puri And Us by Sai Puran

जगन्नाथ रथयात्रा दस दिवसीय महोत्सव होता है। यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ ही शुरू हो जाती है। जगन्नाथ मंदिर में पूजा, आचार- व्यवहार, रीति-नीति और व्यवस्थाओं को शैव, वैष्णव, बौद्ध, जैन धर्मावलम्बियों ने भी प्रभावित किया है। जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने वाले धार्मिक महामहोत्सवों में सबसे प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। यह रथयात्रा न केवल भारत अपितु विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी ख़ासी दिलचस्पी और आकर्षण का केंद्र बनती है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतार ङ्कजगन्नाथङ्क की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है। सागर तट पर बसे पुरी शहर में होने वाली ङ्कजगन्नाथ रथयात्रा उत्सवङ्क के समय आस्था का जो विराट वैभव देखने को मिलता है, वह और कहीं दुर्लभ है। इस रथयात्रा के दौरान भक्तों को सीधे प्रतिमाओं तक पहुँचने का बहुत ही सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। जगन्नाथ रथयात्रा दस दिवसीय महोत्सव होता है। यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण के साथ

आपकि पसंद और सुजाव साई पुराण के लिए SAI PURAN YOUR OWN LIKE TOPIC AND REQUEST

Sai Puran Hindhi And English साई पुराण आपसे अनुरोघ करता है कि अगर आपके पास अजब गजब सच घटना का अनुभव या चिञ , जगाह आदि आप हमे भेजे ताकी आपकी मदत से हम ये सबसे शेअर कर सक SAI PURAN saipuran asking you Ramayan Viman,Samrat Ashoka , ufo india, Mahabharat Myth You Can Share With Us. Saipuran is the only way to bring Indian Mythology Is True by Providing Proof. sai puran Saipuran Provide New Information With Detail Proof of the Subject. Also New Mudra Yojna Pradhan Mantri Mudra Yojna Awas Yojna Indian Bank Loan Sector etc.

MYSTERY OF DEHU SAINT TUKARAM IN HINDHI

भगवान के दर्शन पूना से नौ मील दूर बाघोली नामक स्‍थान में एक वेद-वेदान्‍त के प्रकाण्‍ड पण्डित तथा कर्मनिष्‍ठ ब्राह्मण रहते थे। उनको तुकाराम की यह बात ठीक न जंची। तुकाराम जैसे शूद्र जाति वाले के मुख से श्रुत्‍यर्थबोधक मराठी अभंग निकलें और आब्राह्मण सब वर्णों के लोग उसे संत जानकर मानें तथा पूजें, यह बात उन्‍हें जरा भी पसंद न आयी। उन्‍होंने देहू के हाकिम से तुकाराम जी को देहू छोड़कर कहीं चले जाने की आज्ञा दिलायी। इस पर तुकाराम पण्डित रामेश्‍वर भट्ट के पास गये और उनसे बोले- "मेरे मुख से जो ये अभंग निकलते हैं, सो भगवान पाण्‍डुरंग की आज्ञा से ही निकलते हैं। आप ब्राह्मण हैं, ईश्‍वरवत हैं, आपकी आज्ञा है तो मैं अभंग बनाना छोड़ दूँगा, पर जो अभंग बन चुके हैं और लिखे रखे हैं, उनका क्‍या करूँ?" भट्ट जी ने कहा- "उन्‍हें नदी में डुबा दो।" ब्राह्मण की आज्ञा शिरोधार्य कर तुकाराम ने देहू लौटकर ऐसा ही किया। अभंग की सारी बहियां इन्‍द्रायणी के दह में डुबो दी गयीं। पर विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा तुकाराम के भगवद्प्रेमोद्गार निषिद्ध माने जायें, इससे तुकाराम के हृदय पर बड़ी चोट लगी। उन्‍ह

Yaksha Prashna Questions To Yudhistir Hindhi

पांडवों के वनवास के बारह वर्ष समाप्त होनेवाले थे. इसके बाद एक वर्ष के अज्ञातवास की चिंता युधिष्ठिर को सता रही थी. इसी चिंता में मग्न एक दिन युधिष्ठिर भाइयों और कृष्ण के साथ विचार विमर्श कर रहे थे कि उनके सामने एक रोता हुआ ब्राम्हण आ खड़ा हुआ. रोने का कारण पूछने पर उसने बताया – “मेरी झोपडी के बाहर अरणी की लकड़ी टंगी हुई थी. एक हिरण आया और वह इस लकड़ी से अपना शरीर खुजलाने लगा और चल पड़ा. अरणी की लकड़ी उसके सींग में ही अटक गई. इससे हिरण घबरा गया और बड़ी तेजी से भाग खड़ा हुआ. अब मैं अग्नि होत्र के लिए अग्नि कैसे उत्पन्न करूंगा?” (अरणी ऐसी लकड़ी है जिसे दूसरी अरणी से रगड़कर आग पैदा की जाती है). उस ब्राम्हण पर तरस खाकर पाँचों भाई हिरण की खोज में निकल पड़े. हिरण उनके आगे से तेजी से दौड़ता हुआ बहुत दूर निकल गया और आँखों से ओझल हो गया. पाँचों पांडव थके हुए प्यास से व्याकुल होकर एक बरगद की छाँव में बैठ गए. वे सभी इस बात से लज्जित थे कि शक्तिशाली और शूरवीर होते हुए भी ब्राम्हण का छोटा सा काम भी नहीं कर सके. प्यास के मारे उन सभी का कंठ सूख रहा था. नकुल सभी के लिए पानी की खोज में निकल पड़े. कुछ